शनिवार, 2 जून 2007

भागमभाग की जिंदगी में हो रहे लोग हाइपरटेंशन के शिकार

आधुनिक जीवनशैली में सब-कुछ जल्द पाने की चाहत लोगों को मौत के मुंह तक पहुंचा सकती है। व्यस्त जिंदगी में फुर्सत के लम्हें न मिलने के कारण लोग हाइपरटेंशन से ग्रस्त हो जाते हैं। इसका सीधा प्रभाव हृदय पर पड़ता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। खासतौर पर मेट्रो सिटीज में कॉल सेंटर कर्मियों की जिंदगी में हाइपरटेंशन का खतरे और अधिक है। डाक्टरों का मानना है कि हाइपरटेंशन से बचने का सीधा तरीका यह है कि हम अपने पार्टनर के साथ जिंदगी के हर पल को पूरा इंज्वाय करें व तनाव से दूर रहें। सात्विक व पौष्टिक भोजन पर ध्यान दिया जाए। मेट्रो अस्पताल के फिजीशियन एवं कार्डियो डायबेटोलोजिस्ट डा.एस.चक्रवर्ती का कहना है कि हाइपरटेंशन-उच्च रक्तचाप ऐसी बीमारी है, जो व्यस्क लोगों में आमतौर पर पाया जाता है। पहले इस बीमारी की चपेट में आने वालों की उम्र करीब चालीस वर्ष से अधिक होती थी, लेकिन अब यह उम्र घटकर बीस वर्ष तक पहुंच गई है। अब बीस वर्ष से तीस वर्ष के युवाओं में भी हाइपरटेंशन की समस्या नजर आती है। आंकड़े के मुताबिक शहरी क्षेत्र(मेट्रो सिटीज) में करीब तीस प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में महज दस फीसदी लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। बताया जाता है कि अकेले भारत में शहरी क्षेत्र के करीब 34 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। डा. चक्रवर्ती के अनुसार कई बार हाइपरटेंशन की चपेट में आने वाले व्यक्ति को जब तक इस बात की जानकारी होती है, तब तक काफी देर हो जाती है और वह हार्टअटैक पड़ने के कारण मौत के मुंह में भी चला जाता है। डाक्टर का कहना है कि मौजूदा जीवनशैली हाइपरटेंशन को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेवार है। हाईपरटेंशन की चपेट में आने पर स्ट्रोक व हार्ट अटैक होने का खतरा बना रहता है। क्योंकि इस बीमारी में व्यक्ति की आंख, किडनी, दिमाग, रक्त धमनियां प्रभावित होती हैं। उनके अनुसार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह बीमारी अधिक पाई जाती है। खासतौर पर काल सेंटर में काम करने वाली महिलाओं का इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका रहती है। डा.चक्रवर्ती का कहना है कि जहां अन्य विभागों में हाइपरटेंशन से चालीस फीसदी लोग ग्रसित हैं, वहीं 60 प्रतिशत केस काल सेंटर कर्मियों में पाए जा रहे हैं। सेक्टर-57 में बीपीओ व साफ्टवेयर डेवलपमेंट का कार्य करने वाली एक कंपनी के अधिकारी डीके गोयल का कहना है कि कॉल सेंटर में कार्य करने वालों में ही हाइपरटेंशन अधिक पाया जाता है, ऐसा नहीं है। लेकिन यह अवश्य है कि अन्य कंपनियों के मुकाबले इस फील्ड में कार्य को लेकर तनाव अधिक है। कॉल सेंटर में कम समय में अधिक कार्य करने का तनाव रहता है, लेकिन अन्य कंपनियों के मुकाबले इतनी तनख्वाह मिलती है कि युवा आसानी से जीवनशैली से समझौता कर लेते हैं। हाईपरटेंशन के सर्वाधिक केस पाए जाते हैं इन विभागों में बीपीओ कर्मियों पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट पुलिस विभाग मीडिया चिकित्सा विभाग चपेट में आने के कारण -अनिद्रा का शिकार होने से -ड्रग्स का सेवन करने से -शराब या अन्य नशीले पदार्थ का सेवन करने से -पौष्टिक भोजन के बजाय जंक फूड अधिक खाने से -अधिक वजन बढ़ने से -आराम या मनोरंजन के लिए समय न निकालने से बचाव के तरीके -जीवनशैली में परिवर्तन करते हुए रक्तचाप को सामान्य किया जा सकता है। -पार्टनर के साथ जीवन को इंज्वाय करें -पौष्टिक खान-पान मसलन नाश्ते में टोंड मिल्क, अंडा, मछली जूस खाने पर ध्यान दें -मीट के शौकीनों को मांस के बजाय यदि संभव हो तो मछली का सेवन करना चाहिए। कोशिश करें कि लाल मीट कम से कम खाएं। -शराब या अन्य नशीले पदार्थ से परहेज करें -नियमित व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए उपचार का तरीका -हाइपरटेंशन से बचाव के लिए ड्रग्स थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। -योग व मेडिटेशन के जरिये हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है -पीड़ित ब्लड प्रेशर से संबंधित दवाइयां बराबर लें और चिकित्सक से उपचार कराने में कोताही नहीं बरतें -बगैर चिकित्सीय परामर्श के दवा लेना भी कई बार घातक साबित हो सकता है [Friday, June 01, 2007 10:21:25 PM (IST) ]

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