शनिवार, 9 जून 2007

विद्याथी पैदल चलकर पहुंचते हैं कालेज

ग्रेटर नोएडा, संवाददाता : एजूकेशन हब के रूप में उभरता ग्रेटर नोएडा में आवागमन की समुचित व्यवस्था न होना, छात्रों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। खासकर छात्रों की यह परेशानी गर्मी में और भी बढ़ जाती है। नालेज पार्क के लिए न तो रोडवेज बसों की संख्या पर्याप्त है और न ही आटो की। इससे छात्रों को पैदल ही कई किलोमीटर का सफर तय कर कालेज पहुंचना मजबूरी बनता जा रहा है। छात्रों का कालेज पैदल जाने का एक कारण आटो व रिक्शा वालों द्वारा किराए के रूप में मनमानी रकम मांगा जाना भी है। नालेज पार्क एक, दो और तीन में 45 कालेज स्थित हैं। इसमें लगभग 30 हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बावजूद आवागमन की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। लिहाजा पैदल मार्च कर कालेज तक पहुंचना छात्रों की मजबूरी है। एक ओर ग्रेटर नोएडा को एजूकेशन हब के रूप में शहर को स्थापित करने की बात कही जाती है। वहीं आवागमन की समस्याओं से जकड़े हुए नालेज पार्क के कालेजों में पढ़ने वाले छात्र यहां की व्यवस्था से नाखुश हैं। नालेज पार्क एक का मुख्य सड़क से जुड़े होने से छात्रों को कालेज आने जाने में कम परेशानी होती है। जबकि नालेज पार्क दो और तीन मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ा है। लिहाजा विद्यार्थियों को कालेज जाने के लिए रोडवेज की बसें, आटो व रिक्शा पर निर्भर रहना पड़ता है। परीचौक से जाने वाले आटो व रिक्शा की संख्या कम होने के साथ ही आटो व रिक्शा वाले छात्रों से किराए के रूप में मनमानी रकम मांगते हैं। मजबूरी वश छात्रों को उनके द्वारा मांगे गए रकम को देना पड़ता है। एमबीए का छात्र अम्बिकेश बताता है कि आवागमन की समुचित व्यवस्था के अभाव में पैदल ही कालेज जाना पड़ता है। आटो व रिक्शावाले मनमानी रकम मांगते हैं। वहीं रोडवेज की बसों की सर्विस बहुत ही कम है। बीएड का छात्र जुबैद अली बताता है कि शहर में इतने कालेज होने के बावजूद आवागमन की व्यवस्था न के बराबर है। नालेज पार्क दो और तीन के लिए तो सिटी बसें चलानी चाहिए, ताकि छात्रों को हर वक्त बसें मिल सके। तपती गर्मी में कई किलोमीटर पैदल चल कर कालेज पहुंचने में बीमार होने का डर बना रहता है।

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